भारत माँ से प्रार्थना
हे धरा तुझे सतबार नमन, आभार तेरा जन्मों तक है।
नहीं उरिण तेरा यें लाल कभी, अधिकार मेरा कर्मो मे है।।
हे धरा तुझे सतबार नमन, आभार तेरा जन्मों तक है।
नहीं उरिण तेरा यें लाल कभी, अधिकार मेरा कर्मो मे है।।
डर कर्म मेरा स्त् कर्म बने,अभिलाषा मन में है मेरे।
पर सेवा का अवसर देना, नही कटुता तन मे हो मेरे॥
नहीं जाति धर्म का भेद रहे, नहीं किये कर्म का खेद रहे।
जिस गर्व से तूने पाला है, वो डर दम नित्य अमेद्य रहे॥
है भारत माँ हे जग जननी, डरवार जन्म तेरे गोंद में लूँ।
मन करे अगर तू कह देतो, पलभर में मै अम्बर छूलूँ॥
ये जजबा है अभिमान मेरा, दुशमन को चकनाचूर करे।
डर हो न मन में तनिक कभी, हर राष्ट्र तेरा सम्मान करें॥
हर फर्ज निभाऊँ मैं अपना, मन में इनती ताकत देना ।
है पुन: नमन जननी मेरी, स्वीकार इसे तुम कर लेना ॥
भारत माँ से प्रार्थना |
कमलेश
काव्य मंजरी (भाग-1)
कविता - भारत माँ से प्रार्थना
कवि - नायक कमलेश कुमार मिश्र