Type Here to Get Search Results !

कविता - सैनिक की अभिलाषा

 सैनिक की अभिलाषा


हम सैनिक आदर्श देश के,
इससे बड़ा उपहार नही।


हम सैनिक आदर्श देश के,

इससे बड़ा उपहार नही।

हँसते-हँसते फर्ज निभाए,

डो जीवन बलिदान यही।।


जीवन का तो सत्य अन्त है,

इससे क्यो घबराएँ हम।

अपने मातृभूमि के ख्वातिर,

डर पल बढ़ते जाएँ हमा।।


चलने ताले कभी न झूकते,

राह सदा डी बन जाती।

मन में दृढ़ संकल्प अगर हो,

विजय पताका लहराती।।


अपना फर्ज निभाएँगे हम,

दुश्मन की परवाह नही।

हम सैनिक आदर्श देश के,

इससे बड़ा उपहार नही।।


धन्य धरा, वो पावन जननी,

पुत्र जहाँ, बलिदान करें।

मानवता के लिए देश हित,

न्यौछावर जो प्राण करें।।


 बलिदानी को देश सदा ही,

याद, जमत्र, स्तबार करे,

ऐसे त्रिशाँ छोड़ जाएँगे,

जिसका सब गुण-गान्र करें।।


कितनो ने बलिदान दिए है,

और बड़ा कोई दान नही।

हम सैनिक आदर्श देश के,

इससे बड़ा उपडार नही ।।


सैनिक की अभिलाषा
सैनिक की अभिलाषा


सैनिक की अभिलाषा
सैनिक की अभिलाषा



कमलेश

काव्य मंजरी (भाग-1)

कविता - सैनिक की अभिलाषा

कवि - नायक कमलेश कुमार मिश्र


Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

buttons=(Accept !) days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !